B.A_B.Sc_B.Com. (III Semester) HUMAN VALUES AND ENVIRONMENT STUDIES - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बी.ए./बी.एस-सी./बी.कॉम. ( III सेमेस्टर) मानव मूल्य एवं पर्यावरण अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.ए./बी.एस-सी./बी.कॉम. ( III सेमेस्टर) मानव मूल्य एवं पर्यावरण अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2654
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बी.ए./बी.एस-सी./बी.कॉम. ( III सेमेस्टर)  मानव मूल्य एवं पर्यावरण अध्ययन

सात पापों की गाँधीवादी अवधारणा

मोहनदास करमचंद गाँधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। सत्य के मूल्यों की सार्थकता और अहिंसा को महात्मा गाँधी द्वारा दशकों पहले आरंभ किया गया और ये मान्यताएँ आज भी सत्य हैं। एक अनोखी लोकतांत्रिक व्यवस्था वह है जहाँ प्रत्येक के लिए चिंता, प्रमुख रूप से निर्धनों, महिलाओं और वंचित वर्ग के समूहों को आदरपूर्वक संबोधित किया जाए। महात्मा गाँधी ने लोगों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सत्याग्रह का उपयोग किया और वे इन क्षेत्रों में सामाजिक न्याय लाने के लिए निरंतर कार्य करते रहें जैसे सार्वत्रिक शिक्षा, महिलाओं के अधिकार, साम्प्रदायिक सौहार्द, निर्धनता का उन्मूलन, खादी के उपयोग को प्रोत्साहन आदि।

महात्मा गाँधी के विचार पद्धति का व्यापक दृष्टिकोण समाज के प्रति रहा है, इसलिए गाँधी की सबसे बड़ी देन उसकी विचारधारा के अंतर्गत साध्य के साथ-साथ साधना की पवित्रता का भी ध्यान रखना रहा है जो सर्वोदय के माध्यम से आदर्श समाज की पृष्ठभूमि को तैयार करता है। महात्मा गाँधी ने आदर्श समाज की रूपरेखा को तैयार करते हुए 'सात सामाजिक पाप' की ओर इशारा किया था क्योंकि गाँधी का समाज सत्य और अहिंसा के मूल तत्त्व पर आधारित है इसलिए एक आदर्श समाज के लिए गाँधी की दृष्टि में इन सात सामाजिक पाप से प्रत्येक समाज को दूर रहना चाहिए। गाँधी के इन सात सामाजिक पापों के मुक्ति के बिना आदर्श समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। गाँधी जी ने सात सामाजिक पाप बताये, जो निम्नलिखित हैं-

1. सिद्धांतों के बिना राजनीति
2. कर्म के बिना धन
3. आत्मा के बिना सुख,
4. चरित्र के बिना धन
5. नैतिकता के बिना व्यापार
6. मानवीयता के बिना विज्ञान
7. त्याग के बिना धर्म (पूजा)

सात सामाजिक पापों को जिन्हें कभी विश्व मानव के प्रणेता मोहनदास करमचंद गाँधी ने मानव जाति को याद करवाया था, ये सातों के सातों पाप गाँधीजी के सेवाग्राम में बनी उनकी कुटिया के सामने लगे एक बोर्ड पर अंकित हैं। 'सिद्धांत के बिना राजनीति' गाँधी के समाज के एक प्रमुख पापों में से एक है। राजनीति में सिद्धांत आवश्यक है अन्यथा सिद्धांत विहीन राजनीति दिशाहीन हो जाएगी, जो विभिन्न दुष्परिणामों की जननी सिद्ध होगी। राजनीति से मिली शक्ति का उद्देश्य है जनता को हर क्षेत्र में बेहतर बनाना। राजनीति जीवन का एक अंग है जो किसी भी समाज की दशा और दिशा तय करती है इसलिए गाँधी राजनीति में सिद्धांत पर जोर देते हैं। गाँधी जी की दृष्टि में दूसरा 'सात सामाजिक' पापों के अंतर्गत 'कर्म के बिना धन' को माना है। गाँधी जी साधना की पवित्रता पर बल देते थे उनकी दृष्टि में धनोपार्जन के लिए सर्वोत्तम साधन परिश्रम है और परिश्रम के बिना धन की प्राप्ति अनेक बुराइयों को जन्म देती है।

'आत्मा के बिना सुख', सुख के बारे में गाँधी जी कहा करते थे कि मनुष्य स्वाभाविक रूप से सुखाकांक्षी होता है। आत्मा के अभाव में सभी प्रकार के सुख, भोग और वासना मात्र हैं। आत्मा से उनका भी अभिप्राय उस आंतरिक आवाज से है जो सही और गलत का विवेक देती है। गाँधी साधनों की पवित्रता पर बल देते हैं। अगर मनुष्य भौतिक और शारीरिक सुखों को महत्त्व देता है तो उसे विवेक रहते हुए साधनों की पवित्रता पर भी बल देना पड़ेगा अन्यथा त्याग, सेवा, परोपकार, जैसे स्तरीय गुण दुर्लभ हो जाएँगे।

चरित्र के बिना धन, गाँधी का चरित्र का आधार आत्म-संयम है। आत्म-संयम वही रख सकता है जो सदाचार के नियमों का पालन करता है जहाँ मनुष्य के हृदय में लोभ की प्रधानता नहीं रहेगी। वहाँ धन बिना कर्म को मंजूर नहीं होगा। गलत तरीके से कमाया हुआ धन चरित्र पर कलंक लगा देता है। सुंदर चरित्र व्यक्तित्व बिना ज्ञान भी कभी- कभी पाप की श्रेणी में आता है।

नैतिकता के बिना व्यापार, व्यापार के लिए यह जरूरी है कि वह सदाचार पर आधारित हो अन्यथा बेईमानी आधारित व्यापार भ्रष्टाचार की श्रेणी में माना जाएगा, जो एक प्रकार का सामाजिक पाप है। गाँधी ने विश्व को व्यापार करते देखा था, व्यापार में अक्सर नैतिकता कुर्बान हो जाती है।

मानवीयता के बिना विज्ञान, गाँधी जी कहते हैं कि मानवता विहीन विज्ञान भी एक सामाजिक पाप है। यानी अगर विज्ञान जीवन की रक्षा की चिंता किए बिना सिर्फ विध्वंस का निर्माता है तो उससे बड़ा सामाजिक पाप क्या हो सकता है। विज्ञान आधुनिक युग की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है परंतु विज्ञान मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य विज्ञान के लिए, इस आधार पर गाँधी जी कहते थे कि विज्ञान का प्रयोग इस प्रकार हो कि उससे मानवता समृद्ध और खुशहाल बने परंतु प्रयोग इस प्रकार न हो कि वह मानवता के लिए अभिशाप बन जाए।

त्याग के बिना धर्म, गाँधी जी ने बार-बार कहा था कि मनुष्य का जन्म धर्म की साधना के लिए होता है और स्वयं अपने जीवन का उद्देश्य भी वे धर्म की उपासना मानते थे। उन्होंने विचार परंपरा में सेवा एवं परोपकार को मानव का महत्त्वपूर्ण धर्म माना है। मनुष्य अपने इस धर्म का पालन तभी कर सकता है जब उसमें त्याग की भावना हो अन्यथा त्याग रहित धर्म केवल आडंबर मात्र बनकर रह जाएगा।

"मेरा उद्देश्य धार्मिक है किंतु मानवता से एकाकार हुए बिना मैं धर्म पालन नहीं देखता। अतः गाँधी की त्याग भावना, मानवता केंद्रित है जो सभी धर्मों से बड़ा है" - मोहनदास करमचंद गाँधी।

गाँधी जी द्वारा प्रतिपादित सात पापों का परिचय जानने के बाद गाँधी जी के अहिंसा तथा हिंसा के प्रति विचारों को जानना भी आवश्यक हो जाता है। गाँधी जी के यह विचार हमें उनकी सोच तथा धारणाओं को जानने में सहायक होंगे-

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    अनुक्रम

  1. अध्याय-1 मानव मूल्य (Human Values) पाठ्य सामग्री
  2. मूल्यों के प्रकार
  3. भारतीय संस्था में विकसित मूल्य
  4. उद्यम प्रबन्धन में मूल्य
  5. पेशे के प्रति वफादारी की श्रेणियाँ
  6. पेशे के प्रति वफादारी के मूल्य के सिद्धान्त
  7. समाज कार्य पेशे के प्रति निष्ठा का पालन
  8. प्रबन्धन में सांस्कृतिक मानवीय मूल्य
  9. दर्शन
  10. सांस्कृतिक मूल्य
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञांत कीजिए।
  12. अध्याय - 2 चरित्र निर्माण में स्वामी विवेकानन्द के सिद्धान्त (The Principles of Swami Vivekanand in Character Building) पाठ्य सामग्री
  13. भारत के युवाओं के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
  14. सात पापों की गाँधीवादी अवधारणा
  15. अहिंसा का दर्शन और गाँधी
  16. माता-पिता तथा अध्यापकों की भूमिका के प्रति डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम के विचार
  17. माता-पिता तथा शिक्षक की भूमिका के प्रति APJ अब्दुल कलाम के विचार
  18. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  19. अध्याय - 3 मानव मूल्य और वर्तमानव्यवहार-मुद्दे : भ्रष्टाचार एवं रिश्वत (Human Values and Present Behaviour Issues: Corruption and Bribe) पाठ्य सामग्री
  20. भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव
  21. भ्रष्टाचार व असमानता
  22. विभिन्न क्षेत्रों में भ्रष्टाचार
  23. संचार माध्यमों (मीडिया) का भ्रष्टाचार
  24. चुनाव सम्बन्धी भ्रष्टाचार
  25. नौकरशाही का भ्रष्टाचार
  26. कॉरपोरेट भ्रष्टाचार
  27. शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार
  28. विविध भ्रष्टाचार
  29. भ्रष्टाचार और स्विस बैंक
  30. समाधान
  31. रिश्वत
  32. सामाजिक नेटवर्क एवं संचार में व्यक्तिगत नीति
  33. विशिष्ट संरचना
  34. ऑनलाइन शॉपिंग
  35. यूनाइटेड किंगडम का रिश्वत अधिनियम
  36. सामान्य रिश्वतखोरी अपराध
  37. विदेशी सरकारी अधिकारियों की रिश्वत
  38. अभियोजन और दंड
  39. अन्य प्रावधान
  40. रिश्वत अधिनियम का अनुपालन
  41. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  42. अध्याय - 4 नीतिशास्त्र के सिद्धान्त (Principles of Ethics) पाठ्य सामग्री
  43. महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ
  44. नीतिशास्त्र के प्रमुख सिद्धान्त
  45. आध्यात्मिक मूल्य
  46. भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ
  47. निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate social responsibility या "CSR" )
  48. रतन नवल टाटा
  49. अजीम हाशिम प्रेमजी
  50. बिल गेट्स
  51. माइक्रोसॉफ्ट
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  53. अध्याय - 5 निर्णय निर्माण में धार्मिकता (Holistic Approach in Decision Making) पाठ्य सामग्री
  54. समस्या का विश्लेषण करने के तरीके
  55. श्रीमद्भगवत् गीता : प्रबंधन में तकनीक (The Bhagwat Gita : Techniques in Management)
  56. धर्म एवं जीवन प्रबंधन
  57. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  58. अध्याय - 6 चर्चा द्वारा दुविधाओं की व्याख्या (Elaboration of Dilemmas through Discussion) पाठ्य सामग्री
  59. विपणन संगठन : अर्थ व उद्देश्य
  60. मार्केटिंग की दुविधा
  61. भारतीय दवा उद्योग
  62. जेनेरिक दवा (Generic Drug)
  63. निजीकरण में दुविधा (Dilemma of Privatisation)
  64. सार्वजनिक उद्यमों द्वारा संतोषजनक कार्य न करने के कारण
  65. निजीकरण
  66. उदारीकरण में दुविधा (Dilemma on Liberalisation)
  67. भारतीय अर्थव्यवस्था पर उदारीकरण का प्रभाव
  68. सोशल मीडिया एवं साइबर सुरक्षा में दुविधा (Dilemmas in Social Media and Cyber Security)
  69. सोशल मीडिया और भारत
  70. सोशल मीडिया से जुड़ी समस्याएँ
  71. सोशल मीडिया और निजता का मुद्दा
  72. साइबर सुरक्षा दृष्टिकोण के समक्ष समस्याएँ
  73. साइबर सुरक्षा की दिशा में किये गए सरकार के प्रयास
  74. जैविक खाद्य पदार्थों की दुविधा (Dilemma on Organie Food)
  75. खाद्य मानक का महत्त्व
  76. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  77. अध्याय - 7 पारितन्त्र (Ecosystem) पाठ्य सामग्री
  78. पारितन्त्र की संरचना एवं कार्य प्रणाली (Structure and Functioning of Ecosystem)
  79. आहार श्रृंखला (Food Chain)
  80. खाद्य जाल (Food Web)
  81. ऊर्जा प्रवाह (Energy Flow)
  82. पारिस्थितिक पिरामिड (Ecological Pyramids)
  83. जैव विविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity)
  84. जर्मप्लाज्म बैंक अथवा जीन बैंक (Germplasm Bank or Gene Bank)
  85. स्वस्थानें एवं उत्स्थाने संरक्षण (In situ conservation & Ex-situ Conservation of Biodiversity)
  86. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  87. अध्याय - 8 व्यक्ति विशेष की प्रदूषण नियंत्रण में भूमिका (Role of Individual in Pollution Control) पाठ्य सामग्री
  88. जनसंख्या एवं पर्यावरण Population & Environment)
  89. दीर्घकालिक या ठोस विकास (Sustainable Development)
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  91. अध्याय - 9 भारत एवं संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य (Sustainable Development Goals of India and UN) पाठ्य सामग्री
  92. यूएनडीपी की भूमिका
  93. सर्कुलर अर्थव्यवस्था की अवधारणा एवं उद्योग उपक्रम (Concept of circular economy and entrepreneurship)
  94. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  95. अध्याय - 10 पर्यावरणीय नियम (Environmental Laws) पाठ्य सामग्री
  96. वन अधिकार अधिनियम 2006
  97. स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार
  98. पर्यावरणीय संरक्षण में अन्तर्राष्ट्रीय उन्नति (International Advancement in Environmental Conservation)
  99. वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF)
  100. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal)
  101. NGT के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय
  102. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  103. अध्याय - 11 हवा की गुणवत्ता (Quality of Air) पाठ्य सामग्री
  104. संयुक्त राष्ट्र की रिर्पोट के अनुसार
  105. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
  106. वायु गुणवत्ता सूचकांक
  107. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
  108. भारतीय परम्परागत पर्यावरणीय ज्ञान का महत्त्व (Importance of Indian Traditional knowledge on Environment)
  109. पर्यावरणीय गुणवत्ता का जैव मूल्यांकन (Bio Assessment of Environmental Quality)
  110. पर्यावरण का क्षेत्र
  111. पर्यावरण का महत्त्व
  112. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।
  113. अध्याय - 12 पर्यावरण प्रबन्धन (Environment Management) पाठ्य सामग्री
  114. पर्यावरण प्रबंधन की प्रणालियाँ
  115. पर्यावरण आकलन का महत्त्व (Importance of Environment Assessment )
  116. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के उद्देश्य
  117. भारत में पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन
  118. पर्यावरणीय ऑडिट (Environmental Audit)
  119. पर्यावरण ऑडिट कितने प्रकार के होते हैं?
  120. पर्यावरण लेखा परीक्षा के लाभ
  121. वस्तुनिष्ठ प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए।

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